मुझको लौटा दो बचपन का सावन वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी ....Part -1

Manish Kumar
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लोगो को तन्हाइयों  में सबसे अधिक क्या याद आता है-दोस्त ,बचपन के पल और अपनी ही शैतानियाँ 
जितने छोटे थे हम उतने ही बड़े हमारे सपने थे . ये भी करना है वो भी करना है ,
जाने कितने ही ख्वाबों के बीच घिरे रहते थे । वो बचपन और स्कूल के दिन, जब अपने वजन से भारी बस्ता उठाने पर भी हमारे कदम आकाश पर ही पड़ते थे , और अपनी धुन में गम हम जाने कब स्कूल से घर आ जाते थे । शैतानियाँ और माँ की दांत दोनों ही बड़ी प्यारी लगा करती थी और दोनों का सुख भी एक साथ ही मिल जाता था इसलिए हम शैतानियाँ करने से बाज नही आते थे

आइये देखते है बचपन के कुछ खुबसुरत यादें 
बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे
२ की.मी. तक भागते थे...

न जाने कीतने चोटे लगती थी...

वो पतंग भी हमे बहोत दौड़ाती थी...  आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...

खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...
शायद यही जिंदगी की दौड़ है ...!!!

जब बचपन था, तो जवानी एक ड्रीम था...

जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था... !!
जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी...

आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है... !!


बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है...

काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल..


काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!!

जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम


सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |

जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे

ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके.

जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते

थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |

सोचा करते थे की ये चाँद

हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |

🔦On/Off वाले स्विच को बीच में

अटकाने की कोशिश किया करते थे |


🍏🍑🍈 फल के बीज को इस डर से नहीं खाते

थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |

🎂 बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे

ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |

🔆फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने

की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |


सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?

और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?

ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो💕

भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....

वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी..



बचपन कि ये लाइन्स .
जिन्हे हम दिल से गाते
गुनगुनाते थे ..
और खेल खेलते थे ..!!
तो याद ताज़ा कर लीजिये ...!!

▶ मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जायेगी
बाहर निकालो मर जायेगी।

**********

▶ आलू-कचालू बेटा कहाँ गये थे,
बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।

************

▶ आज सोमवार है,
चूहे को बुखार है।
चूहा गया डाक्टर के पास,
डाक्टर ने लगायी सुई,
चूहा बोला उईईईईई।

**********

▶ झूठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है।
काली माई आयेगी,
तुमको उठा ले जायेगी।

**********

▶ चन्दा मामा दूर के,
पूए पकाये भूर के।
आप खाएं थाली मे,
मुन्ने को दे प्याली में।

**********

▶ तितली उड़ी,
बस मे चढी।
सीट ना मिली,
तो रोने लगी।
ड्राईवर बोला,
आजा मेरे पास,
तितली बोली ” हट बदमाश “।

****************

▶ मोटू सेठ,
पलंग पर लेट ,
गाडी आई,
फट गया पेट



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