वक्त का वक्त भी बदल गया है।
हाथ-घड़ी में पूरा हक अब वक्त का नहीं है,
अब मोबाइल फोन घुस आया है घड़ी में।
घड़ी मोबाइल फोन से कनेक्ट हो गई है।
सैमसंग, टाइटन समेत कइयों ने ऐसी घडि़यां बना दी हैं।
एकदम फास्ट स्पीड से घड़ी में मोबाइल के मैसेज देखो।
मोबाइल खुलने में तो एकाध सेकंड लग जाता है।
इतना लंबा इंतजार नई पीढ़ी को शोभा नहीं देता।
पर घड़ी, मोबाइल, लैपटॉप, बड़का कंप्यूटर, सबमें मैसेज ही देखते रहे, तो बंदा काम कब करे?
यह सवाल पुरानी जेनरेशन का सवाल है।
वैसे सिकंदर भारत आकर विश्व-विजयी तभी हो पाया, जब उसके पास मोबाइल, स्मार्ट घड़ी जैसे आइटम नहीं थे।
आज के वक्त में सिकंदर इंडिया में दाखिल होता बाद में, पहले मिसेज सिकंदर वाट्स एप पर 20 साडि़यों के फोटो भेज देतीं, उस दुकान के फोटो के साथ, जहां साडि़यां मिलेंगी, थैंक्स गूगल सर्च!
एक शराबप्रेमी से मैंने कहा- यह स्मार्ट घड़ी तुम्हें शराब पीने के टाइम पर अलार्र्म देगी शराब की दुकान के पते के साथ। वह बोला- शराबी को बिना गूगल सर्च के ही अपने शहर की तमाम शराब की दुकानों का पता होता है, और उसका शरीर खुद ही अलार्म दे देता है कि अब समय हो गया है पीने का। प्रतिबद्ध शराबी की देह तो खैर हर समय यह अलार्म देती रहती है।
स्मार्ट नौजवान एक से ज्यादा गर्लफ्रेंड वाले होते हैं, सबके मैसेज स्मार्ट घड़ी पर आएंगे, मैसेज देने वाली का नाम आएगा- गर्लफ्रेंड नंबर एक का मैसेज या दो का मैसेज। पर जब बंदा गर्लफ्रेंड नंबर एक के साथ बैठा है और गर्लफ्रेंड नंबर दो का मैसेज स्मार्ट घड़ी में आ गया, तो वह नंबर एक को क्या जवाब देगा? और अगर नॉटिफिकेशन ऑफ ही रखने हैं, तो फिर स्मार्ट घड़ी का फायदा क्या?
समझने वाली बात यह है कि शराबी तो स्मार्ट घड़ी से पहले ही स्मार्ट हैं और सीरियल लवर नौजवानों को स्मार्ट घड़ी बचा नहीं पाएगी। नहीं, ऐसा नहीं है कि दफ्तर के बॉस के मैसेज भी हाथ-घड़ी में देखे जा सकते हैं। पर दिल पर हाथ रखकर बताइए कि दफ्तर के बॉस के मैसेज देखना ही कौन चाहता है, कहीं पर भी?
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