"चाय बस वो चाय नहीं" By-Vishal tiwari

Manish Kumar
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चाय बस वो चाय नहीं,जिसे दिन रात हम यूं ही पीते हैं!
ये वो है जिसके सहारे न जाने कितने जीते हैं!
वो चाय का  एक प्याला भी क्या कमाल कर जाता है!
न जाने कितने उँगते(जम्हाई) हुए को संभाल कर जाता है!

न जाने कितने टूटे हुए रिश्ते भी बनाए हैं,इसने न जाने कितनी नफरतें मिटाई है!
चाय है ये साहब इसने पूरी दुनिया जगाई है!
किसी के लिए morning की Green tea होती है!
तो किसी को सुबह बस 1 कप मीठी चाय हो जाए!
कुछ ऐसे हैं जो एक कप में ही फ्रेश जाते हैं!
 पर कुछ ऐसे भी हैं जिंहें 10 कप भी कम पड़ जाए!
हर माहौल में एक चाय सूट कर जाती है
उठने के बाद या खाने से पहले या गरमा गरम पकोडे के साथ जब बारिश टूट कर आती है!
चाय पीने का कोई टाइम नहीं होता है जनाब यह तो बस लबो से उतरकर सीधे दिल में बस जाती है!
ना मिलने पर पर यह दिन भर जहन में खूब जहन में खूब भर जहन में खूब जहन में खूब में खूब याद आती है!
रात के 3:00 बजे एग्जाम की तैयारी वाली हो या फिर शाम को बंदी के साथ वाली या फिर दोस्तों के साथ टपरी में सुट्टो का साथ भी देती है!
या फिर अकेले रहने पर खुद के हाथ वाली!
चाय है भिन्न भिन्न प्रकार की मिल जाती है!
किसी के लिए Green tea तो किसी के लिए suger free भी की जाती है!
कुछ ऐसे हैं जिन्हें बस सिरा ही चाहिए,तो  किसी को बस एक चम्मच ही पसंद आती है!
चाय में वो मसाला भी क्या स्वाद लाता है!
अरे अदरक और इलायची का कंबीनेशन भी क्या गजब ढाता है!
सुबह होती तो चाय शाम होती तो चाय
कभी हैप्पीनेस वाली चाय
तो कभी अकेले में सुर्राती हुई चाय!
कभी sadness में वो सिसकियों की साथ वाली चुस्कियां
तो कभी इशारों के सिग्नल से बात करती हुई चाय!
कभी सर्द रातों में अति आवश्यक वाले भी होती है!
तो कभी तीलतिलाती गर्मी में तलब वाली भी होती है!
कभी दोस्तों के साथ शेयरिंग वाली वाली भी होती है!
तो कभी मां के हाथ की काढेे वाली भी होती है!
कभी अपनों के लिए पहली ट्राई वाले भी होती है!
तू कभी उनके लिए स्पेशल वाली भी होती है!
ये चाय नहीं मानो अमृत का प्याला है!
न जाने कितनों को जोड़ा न जाने कितनों को पाला है!
पूरे देश में किसी की भी बात हो जाए
चाय लीजिए जनाब और शुरुआत हो जाए हो जाए
चाय की चर्चा की भी बात बड़ी निराली है
शर्मा जी वो शुक्ला जी और खान चाचा ने पूरी Politics यही डिस्कस कर डाली है!
हर चीज का सलूशन निकाल लिया जाता है!
जब भाभी जी से कह के का एक चाय और का राउंड किया जाता है!


चाय और पारले जी में लेकिन जैसी यारी है!
बाकी चीजों में वह बात कहां सारी है!
चाय और सुट्टे का मजा जिसे समझ में आया है!
बाबा उसके लिए बाकी तो सब मोह माया है!
चलो तो एक बार फिर आज चाय के नशे में मदहोश हो जाते हैं 
उठाए कटिंग के गिलास और एक दूसरे से लड़ाते हैं!
क्यों ना अब से यही नारा हो जाए क्या बाबा 1 चाय और हो जाए!
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